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हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2075 की रही धूम, ऐसे मनाया लोगों ने जश्र
उज्जैन | हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 207५ का सूर्य को अघ्र्य देकर अभिनंदन किया गया। शिप्रा किनारे रामघाट-दत्त अखाड़ा घाट पर सूर्योदय की मंगलबेला में विविध आयोजन में शंख और घंटियों की ध्वनि से शिप्रा का किनारा गूंज उठा। इसके अलावा नगर में विभिन्न संस्थाओं की ओर से अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। वर्षप्रतिपदा और गुड़ी पड़वा के अवसर पर रविवार को हिन्दू नववर्ष का उल्लास छाया रहा। धार्मिक,सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजनों के साथ लोगों ने एक-दूसरे को शुभकामना देकर नीम-मिश्री के साथ मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराया।
कल्पादि-सृष्टयादि-युगादि महोत्सव का महापर्व रविवार को सांदीपनि स्मृति महोत्सव समिति, नववर्ष नवविचार समिति, मालव वेद विद्या परिषद्, क्षेत्रीय पण्डा समिति,नृसिंह तैराकी सेवा संघ के साथ रामघाट पर मनाया गया।
नववर्ष महोत्सव के अन्तर्गत कलश की यात्रा एवं ध्वज चल समारोह बड़े गणेश मंदिर से प्रारंभ हुई। रामघाट पर सूर्योदय का उद्घोष बंगाली महिलाओं द्वारा शंखध्वनि से किया गया। इसके बाद सूर्य को अध्र्य प्रदान शिप्रा पूजन, संवत्सर मंत्र पाठ, सूर्य नमस्कार, सांस्कृतिक कार्यक्रम, शिप्रा आरती, ध्वज- कलश पूजन, जगराम गुप्त स्मृति सम्मान तथा प्रसाद-नीम पत्ती का वितरण किया गया। ज्योतिर्विद पं.आनंदशंकर व्यास के सान्निध्य में आयोजित कार्यक्रम में स्वामी शांतिस्वरूपानंद, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के कुलपति एनके धाकड़, प्रो. रामराजेश मिश्र, सुरेंद्र चतुर्वेदी आदि मौजूद थे।
नवसंवत नवविचार इंद्रध्वज संकल्प यात्रा
नवसंवत नवविचार की ओर से फव्वारा चौक महावीर कीर्ति स्तंभ से इंद्रध्वज संकल्प यात्रा निकाली गई। यात्रा नईसड़क, कंठाल, सराफा छत्रीचौक होकर यात्रा गोपाल मंदिर पहुंची, जहां संतोष पंड्या द्वारा हिमाद्री संकल्प कराया गया। ज्योतिर्विद पं.आनंदशंकर व्यास ने संवत् काल के फलित का वाचन किया। इस अवसर पर संत बालयोगी उमेशनाथ महाराज, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति एनके धाकड़, प्रो.रामराजेश मिश्र, मनोहर बैरागी, महेश सोनी, आजाद यादव, योगेश शर्मा, दिनेश जैन हाईकमान, वासुदेव रावल, अशोक सारवान आदि मौजूद थे।
सिंहासन बत्तीसी पर धर्मध्वजा
स्वामी करपात्री कल्याण संघ खेड़ीघाट बड़वाह एवं विक्रमादित्य नवसंवत धर्म ध्वजारोहण समिति द्वारा रुद्रसागर स्थित विक्रमादित्य सिंहासन बत्तीसी पर 81 फीट ऊंची, 51 फीट लंबी ध्वजा फहराई गई। प्रात: 9 बजे विक्रमादित्य की आराध्य देवी मां हरसिद्धि का पूजन, अर्चन एवं चुनरी समर्पित कर संतों के सान्निध्य में ध्वजा चल समारोह के साथ धर्मध्वजा विक्रमादित्य टीले तक पहुंची।